हिमाचल कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने प्रदेश की जयराम सरकार को कर्ज के लिए आड़े हाथों लेते हुआ कहा कि जयराम सरकार ने हिमाचल को पूरी तरह से कर्ज में डूबो दिया है। बीते पांच सालों में जयराम सरकार ने 25 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज लिया। यह कर्ज विकास कार्यों के लिए नहीं बल्कि फिजूल खर्ची पर जाया किया गया। सरकार को जनता का इसका जबाव देना चाहिए।
नरेश चौहान ने कहा कि हिमाचल की जयराम सरकार पूरी तरह से कर्ज पर निर्भर है। वित्त विभाग के आंकड़े बता रहे हैं कि प्रदेश में सबसे अधिक कर्ज लेने वाले मुख्यमंत्री का खिताब जयराम ठाकुर के नाम ही है। जयराम ठाकुर ने 2018-19 में 2867 करोड़ का कर्ज लेकर हिमाचल पर कर्ज की कुल राशि को बढ़ाकर 50773 करोड़ किया। इसी तरह 2019-20 में 5334 करोड़ का कर्ज लिया। 2020-21 में 4886 करोड़ का कर्ज लिया, तब प्रदेश पर कुल कर्ज बढ़कर 60993 करोड़ हो गया। इसके बाद 2021-22 में सरकार ने 8449 करोड़ का कर्ज लिया। अब सरकार फिर 2500 करोड़ का कर्ज ले रही रही है। इस तरह जयराम सरकार 25 हजार करोड़ से अधिक का कर्जा लेने वाली सरकार बन गई है। प्रदेश को 70 हजार करोड़ से अधिक के कर्ज में जयराम सरकार ने हिमाचल को डूबो दिया है। इसके लिए जयराम सरकार को जाना जाएगा।
नरेश चौहान ने कहा है कि जयराम सरकार ने प्रदेश के विकास के लिए नहीं बल्कि फिजूल खर्ची के लिए कर्ज लेकर हिमाचल को कंगाली की कगार पर पहुंचाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सरकारी खजाने से करोड़ों रुपए खर्च कर चुनावी रैलियां कर रहे हैं। सरकार ने हिमाचल में संसाधन बढाने का कोई काम नहीं किया। अब हालात यह हो गई है कि सरकार के पास कर्मचारियों को डीए देने के लिए भी पैसे नहीं है। इसके लिए भी सरकार को कर्ज लेना पड रहा है।
नरेश चौहान ने कहा है कि एक ओर सरकार के पास पैसा नहीं और दूसरी ओर करोडों के शिलान्यास बिना किसी बजट के कर जनता को गुमराह करने का काम किया जा रहा है। जयराम ठाकुर ने बीते पांच सालों में अपने कोई भी कार्य सिरे नहीं चढाए। जिन कार्यों का वे उद्घाटन कर रहे हैं वो पूर्व कांग्रेस सरकार के समय में भी शुरू हुए थे। उन्होंने कहा कि सरकार युवाओं को रोजगार नहीं दे पाई, जिसके चलते आज प्रदेश में 14 करोड़ से अधिक बेरोजगार हो गए हैं। नरेश चौहान ने मुख्यमंत्री को चुनौती दी कि वे रोजगार को लेकर मुख्यमंत्री श्वेत पत्र जारी कर जनता को बताएं कि बीते पांच साल में कितने युवाओं को रोजगार दिया गया। सरकार दावे करती रहे कि प्रदेश में औद्योगिक विकास से लाखों युवाओं को रोजगार मिला। हकीकत यह है कि पांच सालों में हिमाचल में कोई भी नया उद्योग नहीं लगा। उन्होंने जयराम सरकार हर मोर्चे पर विफल रहने के भी आरोप लगाए।
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