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आरटीओ की बजाए अब प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों में बनेंगे ड्राइविंग लाइसेंस

देश में एक जून से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। इसके तहत केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने जा रहा है। नए नियमों के लागू होने के साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस आरटीओ की बजाए प्राइवेट ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटरों में बनेंगे। प्राइवेट सेंटर ड्राइविंग लाइसेंस समेत कई अन्य सर्टिफिकेट जारी कर सकेंगे। इसके साथ ही ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदन करते समय होने वाले पेपर वर्क को भी कम किया जाएग। केंद्रीय मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा है।
 

नाबालिग के गाड़ी चलाने पर 25000  जुर्माना, रजिस्ट्रेशन भी हो सकता कैंसल
नए नियमों के तहत तेज रफ्तार से गाड़ी चलाने पर जुर्माना 1,000 से 2,000  रुपए तक रहेगा। वहीं अगर कोई नाबालिग गाड़ी चलाते हुए पकड़ा जाता है, तो उस पर 25,000 का भारी जुर्माना  लगेगा। इसके साथ ही वाहन की रजिस्ट्रेशन भी रद्द की जा सकती है। वहीं नाबालिग 25 वर्ष की आयु तक लाइसेंस के लिए अयोग्य बन जाएगा।
 

ट्रैनिंग सेंटरों के लिए भी नए नियम लागू
ट्रैनिंग सेंटरों के लिए भी नया नियम लागू किया जाएगा। इन नियमों के मुताबिक ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर के पास दोपहिया वाहनों के लिए कम से कम 1 एकड़ और चार-पहिया वाहनों के लिए 2 एकड़ जमीन रखना अनिवार्य होगा। ड्राइविंग की ट्रैनिंग देने के लिए इन सेंटरों के पास पर्याप्त सुविधाएं होना भी अनिवार्य किया गया है। सेंटरों में ड्राइविंग ट्रेनिंग देने वालों  के पास हाई स्कूल या इसके बराबर का सर्टिफिकेट होने के साथ ही उसके पास कम से कम पांच साल का ड्राइविंग अनुभव होना जरूरी होगा। इसके साथ ही उसके लिए बायोमेट्रिक और आईटी सिस्टम का ज्ञान होना अनिवार्य किया जाएगा।
इन सेंटरों को हल्के मोटर वाहनों (एलएमवी) के लिए 4 सप्ताह में 29 घंटे की ट्रैनिंग देना आवश्यक होगा, जिसमें 8 घंटे की थ्योरी और 21 घंटे की प्रैक्टिकल ट्रेनिंग शामिल है। भारी मोटर वाहनों (एचएमवी) के लिए, 6 सप्ताह में 38 घंटे की ट्रैनिंग अनिवार्य होगी, जिसमें 8 घंटे की थ्योरी और 31 घंटे की प्रैक्टिकल ट्रैनिंग शामिल है।
 





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