भारत के "रतन" टाटा नहीं रहे, दिग्गज बिजनेसमैन कमाई का बड़ा हिस्सा करते थे डोनेट
भारत के दिग्गज उद्योगपति एवं टाटा संस के चेयरमैन रतन नवल टाटा नहीं रहे। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित 86 वर्षीय रतन टाटा ने बुधवार देर रात करीब 11 बजे अंतिम मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। रतन टाटा के पार्थिव शरीर को शाम को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।
टाटा चेयरमैन एन चंद्रशेखरन ने कहा कि, हम अत्यंत दुख के साथ रतन टाटा को विदाई दे रहे हैं। समूह के लिए टाटा एक चेयरपर्सन से कहीं ज्यादा थे।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई उद्योगपतियों ने निधन पर जताया शोक
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य नेताओं और उद्योगपतियों ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने शोक संदेश में कहा है, भारत ने एक ऐसे आइकॉन को खो दिया है, जिन्होंने कॉर्पोरेट ग्रोथ, राष्ट्र निर्माण और नैतिकता के साथ उत्कृष्टता का मिश्रण किया। पद्म विभूषण और पद्म भूषण से सम्मानित रतन टाटा ने टाटा ग्रुप की विरासत को आगे बढ़ाया है।
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा “ रतन टाटा जी एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु आत्मा और असाधारण इंसान थे। उन्होंने भारत के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित व्यावसायिक घरानों में से एक को स्थिर नेतृत्व प्रदान किया। उनका योगदान केवल बोर्डरूम तक ही सीमित नहीं था। अपनी विनम्रता, दयालुता और हमारे समाज को बेहतर बनाने की अटूट प्रतिबद्धता के कारण वे कई लोगों के प्रिय बने”। प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, आनंद महिंद्रा, हर्ष गोयनका ने रतन टाटा के महान योगदान को याद करते हुए उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है।
1937 में गुजरात के सूरत में हुआ था रतन टाटा का जन्म
रतन नवल टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को गुजरात के सूरत में हुआ, उनके पिता का नाम नवल टाटा है। 11 साल की उम्र में इनके माता-पिता एक-दूसरे से अलग हो गए थे। इसके बाद उनके पिता नवल टाटा ने सिमोन से शादी कर ली, जिससे उनके दो भाई जिमी और नोएल टाटा हुए। मां से अलग होने के बाद टाटा समूह के तत्कालीन प्रमुख होर्मूसजी टाटा ने रतन टाटा को गोद ले लिया और बाद में उनकी पत्नी नवाजबाई टाटा ने उनका पालन-पोषण किया। रतन टाटा मार्च 1991 से 28 दिसंबर 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे, उसके बाद 2016-2017 तक एक बार फिर उन्होंने समूह की कमान संभाली। इसके बाद से वह समूह के मानद चेयरमैन की भूमिका में आ गये।
टाटा होल्डिंग कंपनी की कमाई का 66 फीसदी हिस्सा करते थे दान
रतन टाटा ने केवल दिग्गज बिजनेसमैन थे बल्कि वे बहुत बड़े दानवीर भी थे। रतन टाटा हमेशा मदद के लिए सबसे आगे नजर रहते थे और वो अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा दान कर देते थे। बताते हैं कि वे टाटा होल्डिंग कंपनी के तहत कमाई का 66 प्रतिशत हिस्सा दान करते थे।
कोरोना काल में 1500 करोड़ की मदद की
टाटा कंपनी ने इस राष्ट्र के निर्माण में बहुत ही ज्यादा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, लेकिन कोरोना काल में रतन टाटा का योगदान सबसे अधिक चर्चा में रहा। विश्व कोरोना महामारी के समय में जब पूरा विश्व इससे जूझ रहा था, तो उस समय भारत भी इससे संकटों से लड़ रहा था। इस संकट के समय में रतन टाटा सामने आए और उन्होंने एक मुश्त 500 करोड़ रुपये की देश को सहायता दी। इसके बाद भी उन्होंने योगदान दिया। करीब 1500 करोड़ रुपए का योगदान कोरोना काल में रतन टाटा ने देश की मदद के तौर पर दिया।
युवा उद्यमियों के स्टार्टअप में आर्थिक मदद की
रतन टाटा ने स्टार्टअप में निवेश कर युवा उद्यमियों को किया प्रोत्साहित
रतन टाटा को अपने देश, अपने शैक्षिक संस्थानों, देश के युवाओं और अपने कारोबार से बड़ा लगाव था। रतन टाटा स्टार्टअप में निवेश करके नौजवान उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के साथ आर्थिक मदद किया करते थे। उन्होंने देश-विदेश के कई स्टार्टअप्स में कई निवेश किए हैं। रतन टाटा ने करीब 30 से अधिक स्टार्टअप में निवेश किया।
कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को करीब 50 मिलियन डॉलर दान किया
रतन टाटा को शिक्षा से भी काफी लगाव था। वे देश के भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए शिक्षा संस्थानों को भी दान दिया करते थे। साल 2008 में पूरी दुनिया में महामंदी के दौर में रतन टाटा ने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी को करीब 50 मिलियन डॉलर दान में दिया था। टाटा द्वारा उस समय दिया गया यह दान दुनिया का सबसे बड़ा दान बन गया था।
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