हिमाचल में निपुण मिशन के क्रियान्वयन का आकलन करने पहुंची एनसीईआरटी टीम
बच्चों के बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान (FLN) को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से अन्य राज्यों के साथ साथ हिमाचल प्रदेश में भी निपुण भारत मिशन लागू किया गया है। मिशन के तहत छात्रों में एफएलएन के स्तर में कितना सुधार हुआ है, इसका आकलन करने के लिए एनसीईआरटी (NCERT)की आठ सदस्यीय टीम प्रोफेसर सुनीति सनवाल की अध्यक्षता में हिमाचल आई है। यह टीम राज्य में निपुण भारत मिशन के क्रियान्वयन का आकलन करेगी।
पहले चरण में, एनसीईआरटी टीम ने समग्र शिक्षा निदेशालय में निपुण मिशन के अधिकारियों, एससीईआरटी प्रतिनिधियों, डाइट प्रिंसिपल्स और जिला टास्क फोर्स के सदस्यों के साथ राज्य स्तर पर कंसल्टेशन मीटिंग की। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित इस बैठक में हिमाचल में बच्चों के एफएलएन में सुधार के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी निपुण राज्य समन्वयक डॉ. मंजुला शर्मा ने एक प्रेजेंटेशन के माध्यम से दी। हिमाचल में 22 फरवरी 2022 को निपुण हिमाचल लांच किया गया था। प्रदेश में इस मिशन के अंतर्गत राज्य के प्राथमिक विद्यालयों के पहली और दूसरी कक्षा के बच्चों को शामिल किया गया है।
एनसीईआरटी को बताया गया कि मिशन के सफल क्रियान्वयन के लिए विभिन्न स्तरों पर विभिन्न कमेटियों और टास्क फोर्स का गठन किया गया है। समग्र शिक्षा की ओर से शिक्षकों को बेहतर ढंग से पढ़ाने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यही नहीं हिमाचल बच्चों के सीखने की प्रगति की सतत समीक्षा भी कर रहा है, इसके लिए समग्र शिक्षा ने विद्या समीक्षा केंद्र के तहत निपुण प्रगति चैटबॉट की शुरुआत की है। इतना ही नहीं बच्चों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन करने के लिए अक्टूबर में बेसलाइन सर्वे स्कूलों में कराया गया, जिसकी रिपोर्ट जल्द ही ऑनलाइन जारी की जाएगी। इस रिपोर्ट को एनसीईआरटी के साथ भी साझा किया जा रहा है। इस सर्वे में निपुण लक्ष्यों और इनके क्रियान्वयन में पाए जाने वाले गैप को दूर करने के लिए सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे और अब एक फॉलो-अप एंड लाइन सर्वे किया जाएगा। समग्र शिक्षा की ओर से बच्चों में बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान बढ़ाने के लिए सामुदायिक सहभागिता भी सुनिश्चित की जा रही है। समग्र शिक्षा की ओर से जनसहभागिता को बढ़ावा देने के लिए ‘स्कूल रेडीनेस मेला’ और ‘निपुण मेला’ जैसे आयोजन किए जा रहे हैं। साथ ही, नियमित रूप से माताओं की बैठक और एसएमसी मीटिंग भी आयोजित की जा रही हैं। हिमाचल में प्री प्राइमरी स्तर की कक्षाओं के बच्चों की माताओं के लिए अलग से “पहली शिक्षक मां” कार्यक्रम शुरू किया गया है, जिसके तहत माताओं को विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही है, जिससे के बच्चों के सीखने के स्तर में सुधार हो।
शिमला और चंबा जिलों के स्कूलों का दौरा करेगी टीम
दूसरे चरण में एनसीईआरटी की टीम शिमला और चंबा जिलों के पांच-पांच स्कूलों का दौरा करेगी। इस निरीक्षण के दौरान टीम यह देखेगी कि बच्चे एफएलएन लक्ष्यों के अनुसार कितना सीख पाए हैं और शिक्षकों की टीचिंग मेथड्स में क्या सुधार हुआ है। यह टीम शिक्षकों और अभिभावकों से भी संवाद करेगी ताकि मिशन के प्रभाव का गहन आकलन किया जा सके।
एनसीईआरटी की प्रोफेसर सुनीति सनवाल ने कहा कि एनसीईआरटी हिमाचल में निपुण भारत मिशन के कार्यान्वयन के हर पहलू की समीक्षा कर रही है। टीम यह भी देखेगी कि टीचर्स ट्रेनिंग और शिक्षण सामग्री के विकास में कितनी प्रगति हुई है, साथ ही सामाजिक भागीदारी के प्रयासों का भी मूल्यांकन किया जाएगा। अगर इस दौरान किसी स्तर पर कोई गैप पाया जाता है, तो उसे दूर करने के लिए सुझाव भी दिए जाएंगे। एनसीईआरटी ने अब तक दो राज्यों में निपुण भारत मिशन का मूल्यांकन किया है और हिमाचल प्रदेश का मूल्यांकन पूरा करने के बाद इसकी रिपोर्ट एनसीईआरटी प्रशासन को सौंपी जाएगी।
इस दौरान एनसीईआरटी की टीम ने टास्क फोर्स के सदस्यों, डाइट प्रिंसिपल और अन्य प्रतिभागियों के साथ इंटरेक्शन भी किया। टीम ने स्कूलों में छात्रों की संख्या, सुविधाओं और पढ़ाने के तौर तरीकों से बारे में भी जानकारी ली। एनसीईआरटी की टीम हिमाचल प्रदेश में निपुण भारत मिशन के प्रभाव को मापने के साथ ही इसे और अधिक प्रभावी बनाने के सुझाव भी प्रदान करेगी। इस मीटिंग में एनसीईआरटी की ओर से प्रोफेसर सुनीति सनवाल, असिस्टेंट प्रोफेसर डा. मोनू सिंह गुर्जर, डा. अजय शर्मा. डा. दर्शना, डा. जी.बोली, डा. दीप्ति मंडल, डा. प्रियंका मित्तल, डा. मंजुला शर्मा और जी. परवीन शामिल रहे।
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