क्राइम: कोरोना काल से पोस्ट-कोरोना तक रिकॉर्ड टूटे
देश में कोरोना काल और उसके बाद लगातार अपराधिक मामलों में भारी बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान (2020–2022) अपराधों में असामान्य उछाल देखा गया।
हालांकि वर्ष 2018 में कुल 38,17,929 अपराध दर्ज किए गए थे, इसके अगले साल 2019 में इसमें हल्की बढ़ोतरी हुई और कुल अपराध बढ़कर 39,71,709 हुए। यह सामान्य वृद्धि दर दर्शाती है कि कोरोना से पहले अपराधों का स्तर धीरे-धीरे बढ़ रहा था।
लेकिन कोविड काल शुरू होते ही अपराधों में तेजी आई। वर्ष 2020 में कोरोना महामारी की शुरुआत हुई और देशभर में कुल 42,54,356 अपराध दर्ज किए गए। विशेषज्ञों का मानना है कि लॉकडाउन, मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव ने घरेलू हिंसा, साइबर अपराध और अन्य अपराधों में तेजी लाने में भूमिका निभाई। लंबे समय तक घरों में रहने और आर्थिक असुरक्षा के कारण कई मामलों में हिंसा और धोखाधड़ी की प्रवृत्ति बढ़ी।
2021 और 2022 में अपराधों में 17 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी
वर्ष 2021 में अपराधों की संख्या बढ़कर 49,78,920 हो गई, जो 2020 के मुकाबले लगभग 17 प्रतिशत अधिक थी। इस दौरान साइबर अपराध, घरेलू हिंसा और बच्चों के खिलाफ अपराधों में विशेष बढ़ोतरी देखी गई। महामारी के दूसरे साल में मानसिक तनाव और आर्थिक दबाव ने अपराधों को और बढ़ावा दिया।
वर्ष 2022 में कुल 58,24,946 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 की तुलना में लगभग 17 प्रतिशत अधिक थे। इस साल साइबर अपराध, अपहरण और महिलाओं व बच्चों के खिलाफ अपराध प्रमुख रूप से सामने आए। इसके अलावा चोरी, हिट एंड रन और ऑनलाइन धोखाधड़ी जैसी घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई।
पोस्ट-कोरोना वर्ष 2023: अपराधों ने बनाया नया रिकॉर्ड
वर्ष 2023 को अधिकांश देशों में पोस्ट-कोरोना वर्ष माना गया। इस साल अपराधों ने नया रिकॉर्ड कायम किया। देशभर में कुल 62,41,569 मुकदमे दर्ज किए गए, जो 2022 की तुलना में 7.2 फीसदी अधिक हैं। रिपोर्ट के अनुसार, साइबर अपराधों में 31 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई। इसमें साइबर फ्रॉड, डिजिटल अरेस्ट, एक्सटॉर्शन और सेक्सटॉर्शन जैसी घटनाओं में सबसे अधिक इजाफा देखा गया। अपहरण के मामलों में भी 5 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसके अलावा महिलाओं और बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई। बच्चों के मामले में यह वृद्धि 9 फीसदी से अधिक रही। हालांकि राहत की बात यह है कि हत्या के मामलों में करीब 3 फीसदी की कमी और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराधों में 2 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।
सामाजिक संरचना और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर
विशेषज्ञों की मानें तो कोरोना काल ने सामाजिक संरचना और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला, जिससे अपराधों में असामान्य वृद्धि हुई। 2023 में भी इस प्रभाव का असर देखा गया, हालांकि महामारी की आपातकालीन परिस्थितियां समाप्त हो चुकी थीं।
एनसीआरबी की रिपोर्ट के आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि 2020 से 2023 तक कुल अपराध काफी ज्यादा बढ़े। इस लगातार वृद्धि से यह स्पष्ट होता है कि कोरोना महामारी और उसके प्रभावों ने अपराधों की प्रवृत्ति पर लंबी अवधि तक असर डाला। साइबर अपराध, अपहरण, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध, चोरी और हिट एंड रन जैसी घटनाओं में लगातार वृद्धि देखी गई, जबकि हत्या और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराधों में मामूली कमी रही।
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