आमतौर पर सरकारी विभाग अकसर जनता की आलोचना का शिकार बनते हैं, लेकिन डाक विभाग के एक अफसर रामतीर्थ शर्मा ने 41 साल की सेवा में अलग ही छाप छोड़ी है। रामतीर्थ शर्मा हाल ही में धर्मशाला डाक मंडल के अधीक्षक के रूप में सेवानिवृत्त हुए। इनकी कार्यकुशलता ऐसी थी कि धर्मशाला डाक मंडल के तहत एक ही दिन में 25 करोड़ का पीआईएल बिजनस किया। ये अब तक का रिकॉर्ड है। इसी तरह इन्होंने ऊना डाक मंडल के अधीक्षक के तौर पर कोरोना काल में बुजुर्ग लोगों को 12 करोड़ की पेंशन घर घर जाकर उपलब्ध करवाई।
राम तीर्थ शर्मा ने 41 साल डाक विभाग में सेवाएं दी। डाक सहायक से होकर उनका सफर विभाग की ऊंची पोस्ट डाक अधीक्षक तक पहुंचा। उन्होंने जीपीओ शिमला में सीनियर पोस्ट मास्टर सहित पोस्टल स्टोर डिपो में मैनेजर के अलावा ऊना व धर्मशाला डाक मंडल के अधीक्षक के रूप में सेवा दी। उन्होंने विभाग में रहते हुए कई रिकॉर्ड बनाए।
12 करोड़ रुपये की पेंशन बुजुर्ग लोगों को घर घर जाकर दिलवाने की व्यवस्था की
कोरोना संकट के समय जब सब घरों में कैद हो गए तो ऊना डिवीजन के डाक अधीक्षक होने के नाते रामतीर्थ शर्मा ने 12 करोड़ रुपये की पेंशन बुजुर्ग लोगों को घर घर जाकर दिलवाने की व्यवस्था की। कुछ जगह पेंशनर्स के खाते बैंक में थे और बैंक प्रबंधन ने भी हाथ खड़े किए तो डाक विभाग के पास मौजूद विकल्प का प्रयोग करते हुए उन्हें भी घर द्वार पर पेंशन पहुंचाई।
कोरोना काल में बेहतरीन सेवाएं देने के लिए हिमाचल के तत्कालीन राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने रामतीर्थ शर्मा को विशेष तौर पर प्रशस्ति पत्र देकर सराहा। यही नहीं, उन्होंने कोरोना संकट में प्रवासी श्रमिकों को राशन भी उपलब्ध करवाया।
पहला सीबीएस पोस्ट ऑफिस रामतीर्थ शर्मा ने ही शुरू करवाया
प्रदेश का पहला सीबीएस यानी रूरल कोर बैंकिंग सिस्टम पोस्ट (सीबीएस) ऑफिस हमीरपुर के प्रधान डाकघर बड़सर के तौर पर रामतीर्थ शर्मा ने ही शुरू करवाया था। तब पहले ही दिन इस सुविधा के तहत करीब 300 नए खाते खुले।
यही नहीं, प्रधान डाकघर बड़सर के तहत आने वाले पांच शाखा डाकघरों को भी सीबीएस से जोड़ दिया गया। इनमें लंदन ओलंपिक पदक विजेता स्टार शूटर विजय कुमार के गांव हरसौर का शाखा डाकघर भी शामिल है। रामतीर्थ शर्मा तब बड़सर डाक घर के डाकपाल थे। जहां जहां इस अफसर ने सेवा दी, वहां कई सुधार किए। उनकी सेवाओं को स्मरण करते हुए डाक विभाग के अफसरों व कर्मियों ने सेवा निवृति के अवसर पर कहा कि ऐसा अफसर डाक विभाग को शायद ही मिले। राम तीर्थ शर्मा 31 दिसम्बर 2021 को सेवा निवृत्त हुए। इस समय वे जवालामुखी में रह रहे हैं।
दैनिक जागरण के सम्पादक नवनीत शर्मा ने अपने चर्चित कालम खबर के पार में लिखा था--
सकारात्मकता की एक नजीर ऊना के डाक अधीक्षक राम तीर्थ शर्मा ने दी है। जिलाधीश से इन्होंने तीन गाडिय़ों के लिए पास मांगे। ये पास उन्होंने शिमला के किसी सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी की तरह मित्रों के सैर सपाटे के लिए नहीं मांगे। इसलिए मांगे कि वह पेंशनधारकों को घर-घर जाकर पेंशन बांट सकें। उन्होंने अपनी टीम के साथ 30000 खाताधारकों को 12 करोड़ रुपये से अधिक की राशि घर-घर जाकर बांटी। इनके साथ ही मास्क भी होते थे, सैनिटाइजर भी। जिसके पास मास्क नहीं होता था, उसे मास्क भी मिलता था। हस्ताक्षर करने से पहले भी सैनिटाइजर और बाद में भी। 864 ऐसे खाताधारक भी थे, जिनकी पेंशन बैंक में आती थी लेकिन बैंक ने उन्हें मझधार में छोड़ दिया था। चूंकि खाते आधार से लिंक्ड थे और 10000 रुपये तक की राशि दी जा सकती है, इन्होंने ऐसे खाताधारकों को भी राहत दिलाई। यह वही डाक विभाग है, जिसे कुछ दिन पहले तक सूचना तकनीक की दौड़ में पिछड़ा बता रहे थे कुछ लोग। अब इसी के लोग डाक के साथ दवाइयां भी पहुंचा रहे हैं। रामतीर्थ ने विभाग से साठ हजार रुपये की राशि राशन बांटने में भी लगाई।
ये सम्पादकीय राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने पढ़ा और उसके बाद रामतीर्थ शर्मा को प्रशस्ति पत्र दिया। रामतीर्थ शर्मा को डाक सेवा अवार्ड सहित कई अन्य सम्मान मिले। उनकी अगुवाई में धर्मशाला डाक मंडल ने कई रिकॉर्ड बनाये। उन्होंने विभाग में रहते हुए कई सुधार भी किए और कर्मचारियों के लिए सुविधाएं जुटाई।
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