राजेश शर्मा ने 'पोस्ट परख सर्वे डिसेमिनेशन' व 'होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड' पर आयोजित कार्यशाला का किया शुभारंभ
तीन दिवसीय कार्यशाला में होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड के प्रभावी क्रियान्वयन पर दी जा रही ट्रेनिंग
हिमाचल प्रदेश ने परख सर्वे 2024 में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पूरे देश में शीर्ष पांच राज्यों में अपना स्थान सुनिश्चित किया है। यह उपलब्धि इसलिए और भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पिछले नेशनल अचीवमेंट सर्वे में हिमाचल 21वें स्थान पर था। बच्चों के सीखने के स्तर में आए इस उल्लेखनीय सुधार को बनाए रखने और इसे अगले स्तर तक ले जाने के उद्देश्य से SCERT और PARAKH के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय कार्यशाला की शुरुआत की गई। Post PARAKH Rashtriya Sarvekshan 2024 Dissemination and Training on Holistic Progress Card (HPC)" पर आधारित इस कार्यशाला का उद्घाटन समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने किया गया। इस अवसर पर SCERT की प्राचार्या डॉ. रजनी सांख्यान, परख टीम, समग्र शिक्षा के क्वालिटी कोऑर्डिनेटर, MIS इंचार्ज, स्कूलों के प्रधानाचार्य, DIET अस्सेसमेंट कोऑर्डिनेटर व शिक्षकगण उपस्थित रहे।
इस मौके पर समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि पूरे देश सहित हिमाचल में भी PARAKH राष्ट्रीय सर्वेक्षण-24 बीते साल दिसंबर माह में कराया गया था। इस सर्वे के माध्यम से कक्षा 3 और 6 के छात्रों का भाषा, गणित और पर्यावरण अध्ययन (EVS) तथा कक्षा 9 के छात्रों का भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में ज्ञान और समझ का मूल्यांकन किया गया। उन्होंने कहा कि यह केवल अकादमिक मूल्यांकन नहीं था, बल्कि छात्रों के समग्र विकास को समझने का प्रयास भी था। हिमाचल के लिए यह गर्व की बात है कि इसमें हिमाचल देश के टाॅप पांच राज्यों में उभरा है।
होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड: शिक्षा को परिणामों से परे ले जाने की दिशा में बड़ा कदम
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड (HPC) को प्रदेश के स्कूलों में प्रभावी ढंग से लागू करने को लेकर अधिकारियों और शिक्षकों को प्रशिक्षित करना है। PARAKH द्वारा विकसित यह प्रगति कार्ड राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की सिफारिशों के अनुरूप तैयार किया गया है। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि यह केवल छात्रों की अकादमिक उपलब्धियों पर आधारित नहीं है, बल्कि उनके संज्ञानात्मक, सामाजिक-भावनात्मक, शारीरिक और रचनात्मक विकास को भी समान रूप से महत्व देता है। इसका उद्देश्य छात्रों के मूल्यांकन में एक संतुलित और समग्र दृष्टिकोण अपनाना है, जिससे वे न केवल पढ़ाई में अच्छे बनें बल्कि सामाजिक रूप से जिम्मेदार, भावनात्मक रूप से जागरूक और रचनात्मक रूप से सक्षम भी बनें। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा, हिमाचल में इस दिशा में गंभीरता से कार्य कर रहा है ताकि यह प्रोग्रेस कार्ड स्कूलों में केवल कागजों तक सीमित न रहे, बल्कि वास्तव में छात्रों के सर्वांगीण विकास का प्रभावी उपकरण बन सके।
समग्र शिक्षा निदेशक ने डायग्नोस्टिक अचीवमेंट सर्वे का किया निरीक्षण
इसी के साथ समग्र शिक्षा की ओर से आज प्रदेश के 180 पीएम श्री स्कूलों में डायग्नोस्टिक अचीवमेंट सर्वे सफलतापूर्वक कराया गया, जिसमें कक्षा 3, 6 और 9 के छात्रों ने भाग लिया। इस मूल्यांकन का उद्देश्य छात्रों की संख्यात्मक समझ, पठन क्षमता, वैज्ञानिक सोच और विषयों की गहरी समझ जैसे आवश्यक कौशलों का मूल्यांकन करना था।
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने पीएम श्री स्कूल में जाकर डायग्नोस्टिक अचीवमेंट सर्वे की प्रगति का निरीक्षण भी किया।
राजेश शर्मा ने कहा कि इस तरह के सर्वे शिक्षकों को यह समझने में मदद करते हैं कि किन क्षेत्रों में छात्रों को अतिरिक्त सहायता की जरूरत है। इससे शिक्षण पद्धतियों को और अधिक प्रभावशाली बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के उन लक्ष्यों के साथ पूरी तरह से मेल खाती है, जिसमें क्षमता आधारित शिक्षा और बेहतर शिक्षण परिणाम सुनिश्चित करने पर बल दिया गया है।
इस तीन दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से न केवल होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड को लेकर गहराई से समझ विकसित की जा रही है, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जा रहा है कि आने वाले समय में हिमाचल के स्कूलों में शिक्षा का उद्देश्य केवल परीक्षा तक सीमित न रहे, बल्कि छात्रों के सम्पूर्ण विकास की दिशा में सार्थक कदम उठाए जाएं।
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