कांग्रेस की बड़ी जीत से बढ़ा सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कद
प्रदेश में विधानसभा उपचुनावों में कांग्रेस की बड़ी जीत से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का सियासी कद और बढ़ा है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा उपचुनावों में प्रचार की कमान स्वंय अपने हाथों में लेकर 9 सीटों में से 6 पर कांग्रेस को जीत दिलाई। मुख्यमंत्री सुक्खू ने न केवल अपनी सरकार को भी मजबूत किया है, बल्कि कांग्रेस पार्टी में भी जान फूंक दी। कांगड़ा के देहरा विधानसभा सीट पर पहली बार अगर कांग्रेस जीत पाई है तो इसका श्रेय मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को ही जाता है। यहां से उनकी धर्मपत्नी भारी बहुमत से जीती हैं।
हिमाचल के विधानसभा उपचुनावों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू अजेय बनकर निकले हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्यसभा सीट गंवाने के बाद न केवल अपनी पार्टी को झटके से उबारा बल्कि इसके बाद अपनी सरकार को पैदा हुए सियासी संकट से बाहर निकालने में वह कामयाब रहे हैं।
कांग्रेस के छह विधायकों ने जिस तरह से खुलेआम बगावत की, उससे हिमाचल में कांग्रेस सरकार पर भी एक बड़ा संकट आ गया था। इसके बाद प्रदेश में लोकसभा चुनावों के साथ ही 6 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू 4 सीटें जीताकर अपनी सरकार को संकट से निकालने में कामयाब हो गए थे। इससे विधानसभा में कांग्रेस की सीटें बढ़कर 38 हो गई थीं। इसके बाद निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे से खाली हुई तीन सीटों पर बीते 10 जुलाई को मतदान हुआ और जिसके नतीजे आज निकले। तीन सीटों में से दो कांग्रेस की झोली में गई है। इससे पार्टी में भी नई जान आई है, पार्टी कार्यकर्ताओं में भी नए जोश का संचार हुआ है।
कांग्रेस की विधानसभा में एक बार फिर हुई 40 सीटें
वहीं तीनों विधानसभा उपचुनावों के नतीजों के बाद दो और सीटें जीतने से हिमाचल विधानसभा में कांग्रेस की सीटें बढ़कर फिर से 40 हो गई हैं। यह वही आंकड़ा था जो हिमाचल में सियासी बगावत से पहले था। हालांकि विधानसभा उप चुनावों में तीन सीटें जीतने के बाद भाजपा के सीटों की संख्या जरूर 28 हुई है, लेकिन इन चुनावों में पार्टी को कुछ हासिल नहीं हुआ। कांग्रेस इसको लेकर लगातार भाजपा को घेरती रही है।
देहरा में कांग्रेस की पहली बार जीत
कांगड़ा जिला की देहरा सीट इस बार हॉट सीट बन गई थी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर को हाईकमान ने यहां से चुनाव लडाने का फैसला किया था। भाजपा ने परिवारवाद का नारा देकर सरकार को बैकफुट पर लाने का प्रयास किया। लेकिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस सीट को कांग्रेस की झोली में डाला और यहां से उनकी धर्मपत्नी कमलेश ठाकुर 9399 वोटों के भारी बहुमत से जीतीं। भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ने वाले होशियार सिंह दो बार यहां से निर्दलीय चुनाव भी जीत चुके हैं और वे काफी मजबूत माने जा रहे थे। देहरा विधानसभा के अस्तित्व में आने के बाद कांग्रेस पहली बार यहां जीती है। देहरा सीट पर दो बार भाजपा और दो बार बतौर निर्दलीय विधायक होशियार सिंह ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस की स्थिति यह थी कि यहां 2017 में तो इसके उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई थी। जाहिर है कि इस सीट पर कांग्रेस की ऐतिहासिक जीत से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू का कद और बढ़ा है और उनको विरोधियों को मुंह की खानी पड़ी है।
अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर में बचाई भाजपा की लाज
पूर्व केंद्रीय मंत्री और हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर हमीरपुर में भाजपा की लाज बचाने में कामयाब रहे हैं। हमीरपुर विधानसभा क्षेत्र अनुराग ठाकुर का गृह जिला है और उनको पार्टी ने इस सीट को जिताने का जिम्मा भी सौंपा था। इस सीट पर भाजपा के आशीष शर्मा जीते हैं, हालांकि आशीष शर्मा का राजनीतिक करियर, देहरा के होशियार सिंह और नालागढ़ के केएल ठाकुर की तुलना में कम है। वह पिछली बार पहली दफा निर्दलीय विधायक बने थे। बावजूद इसके अगर आशीष शर्मा जीत पाए हैं तो जानकार सूत्र बताते हैं कि इसके पीछे अनुराग ठाकुर का परिश्रम रहा है। अनुराग ठाकुर को जिस तरह से इस सीट की जिम्मेवारी दी थी, उससे उनके लिए इस सीट को जिताना भी प्रतिष्ठा का सवाल हो गया था। यहां से पार्टी प्रत्याशी को जिताने के बाद अनुराग ठाकुर राजनीतिक तौर पर और भी मजबूत हुए हैं।
हार से नेता विपक्ष जयराम ठाकुर की साख गिरी
भाजपा की देहरा और नालागढ़ में जिस तरह से हार हुई है, इससे भाजपा को झटका तो लगा ही है साथ में इससे नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की साख भी गिरी है। जयराम ठाकुर को विशेषतौर पर नालागढ़ विधानसभा उपचुनाव में पार्टी को जिताने का काम सौंपा गया था। लेकिन यहां पार्टी 8990 वोटों के बड़े मार्जिन से हारी है। पार्टी की हार खुद नेता विपक्ष जयराम ठाकुर की राजनीतिक प्रतिष्ठा के लिए किसी धक्के से कम नहीं है। प्रदेश में जयराम ठाकुर की अगुवाई में भाजपा लगातार चुनाव हारती आ रही है। 2022 में प्रदेश विधानसभा चुनाव भी भाजपा ने जयराम ठाकुर की अगुवाई में लड़े, लेकिन इन चुनावों में पार्टी की बुरी हार हुई और वह 44 सीटों से सिमटकर 25 सीटों तक जा पहुंची। यह तब था जब केंद्र की मोदी सरकार ने जयराम सरकार को पांच सालों में भरपूर सहयोग दिया और विकास के हजारों करोड़ के प्रोजेक्ट दिए। सत्ता से बाहर होने के बाद भाजपा प्रदेश कांग्रेस सरकार के सियासी संकट का भी फायदा उठाने में नाकामयाब रही। अब उपचुनावों में 9 में से 6 सीटों पर पार्टी को पराजय का सामना करना पड़ा है। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह विफलताएं प्रदेश में पार्टी के कमजोर नेतृत्व को ही दर्शा रहे हैं।
कुल मिलाकर इन उपचुनावों से सुक्खू सरकार मजबूत हुई है, वहीं फिर से सत्ता में आने का दावा करने वाली भाजपा की प्रतिष्ठा को इनसे गहरा धक्का पहुंचा है।
Leave A Comment