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कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ पर शिमला में राज्य स्तरीय सम्मान समारोह आयोजित

कारगिल विजय दिवस की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में राज्य स्तरीय सम्मान समारोह किया गया। इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता तथा सैनिक कल्याण मंत्री कर्नल डॉ धनी राम शांडिल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की और कारगिल में शहीद जवानों को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में शहीद, शौर्य सम्मान से सम्मानित वीर नारी और कारगिल युद्ध का हिस्सा रह चुके सेवानिवृत्त पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया।

कर्नल डॉ धनी राम शांडिल ने कहा कि प्रदेश को वीर भूमि होने का श्रेय प्राप्त करने में हिमाचल के वीर सपूतों का अभूतपूर्व योगदान रहा है। आजादी के बाद आज तक प्रदेश के लगभग 1714 वीरों ने अपने प्राण देश के लिए न्योछावर किए हैं। 

इन्हें किया गया सम्मानित 
कारगिल युद्ध में शहीद ग्रेनेडियर नरेश कुमार की धर्मपत्नी शकुंतला गांव मूल भजी, ठैला सुन्नी और शौर्य चक्र सम्मानित बलिदानी राइफलमैन कुलभूषण मांटा की धर्म पत्नी नीतू कुमारी गांव गौंठ, मझौली कुपवी और शहीद लांस नाइक किशोरी लाल की धर्मपत्नी प्रवीण कुमारी को मुख्य अतिथि ने सम्मानित किया। इसके साथ ही कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया। इनमें सुबेदार रतन सिसोदिया, सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा, सूबेदार मेजर शाम लाल शर्मा, सूबेदार मेजर कैलाश चौहान, सूबेदार वेद प्रकाश शर्मा, हवलदार लक्ष्मी दत्त शर्मा, हवलदार राम लाल, हवलदार प्रवीण, सुबेदार राम लाल शामिल रहे। 

प्रदेश में 1,29,656 पूर्व सैनिक 
प्रदेश में वर्तमान में 1,29,656 पूर्व सैनिक, 972 वीर नारियां एवं 38,996 पूर्व सैनिकों की विधवाएं हैं। इस छोटे से पहाड़ी प्रदेश के चार जांबाज सैनिकों को परम वीर चक्र, दो को अशोक चक्र, 11 को महावीर चक्र तथा 23 को कीर्ति चक्र जैसे शौर्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अतिरिक्त 1148 सैनिक विभिन्न पदक से सम्मानित हैं। इनमें से जिला शिमला के एक  परम वीर चक्र, एक  अशोक चक्र,  एक कीर्ति चक्र, छह  वीर चक्र, 11 शौर्य चक्र, 58 सैनिक विभिन्न पदक से सम्मानित हैं। 

 

नाटक के मंचन ने बटोरी तालियां 


कार्यक्रम के दौरान द बिगनर्स ग्रुप की ओर से शहीद सैनिक के परिवार पर आधारित आमा शीर्षक से नाटक का मंचन किया गया। इसमें कारगिल युद्ध में सैनिक के बलिदान तथा मां और बहन के जीवन को दर्शाया गया। नाटक के मंचन कर रहे रंगकर्मियों ने थियेटर में मौजूद सभी दर्शकों की आंखों को नम कर दिया और खूब तालिया बटौरी। 

 

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