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शानन पावर प्रोजेक्ट पर हिमाचल का हक, मजबूती से लड़ रहे न्यायालय में लड़ाई : सीएम सुक्खू

 हिमाचल प्रदेश के मंडी जिला के जोगिंदरनगर विधानसभा दौरे पर गए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सूक्खु ने शुक्रवार को शानन पावर प्रोजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे । सीएम सूक्खु ने पूरे प्रोजेक्ट का निरीक्षण किया

सीएम सूक्खू ने कहा कि आज शानन जल विद्युत परियोजना का निरीक्षण किया है। उन्होंने कहा की इस परियोजना पर हिमाचल प्रदेश का हक है और इसे वापिस लेने के लिए सरकार देश की सर्वोच्च अदालत में मजबूती से लड़ाई लड़ रही है। सीएम सूक्खु ने कहा कि हिमाचल की संपदा को लूटने नही देंगे । क्योंकि हिमाचल प्रदेश की प्रगति व आत्मनिर्भरता की नींव प्रदेश के संसाधनों में है।

क्या है शानन परियोजना का मामला

 देश पर ब्रिटिश शासन के दौरान मंडी रियासत के राजा जोगेंद्र सेन ने शानन बिजलीघर के लिए जोगिंदरनगर में जमीन उपलब्ध करवाई थी. उस दौरान जो समझौता हुआ था। उसके अनुसार इसकी लीज अवधि 99 साल रखी गई थी. यानी 99 साल पूरे होने पर ये बिजलीघर उस धरती (मंडी रियासत के तहत जमीन) की सरकार को मिलना था, जहां पर ये स्थापित किया गया था। भारत की आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश पंजाब का ही हिस्सा था. वैसे हिमाचल का गठन 15 अप्रैल 1948 को हुआ था, लेकिन पूर्ण राज्य का दर्जा 1971 में मिला था. उस समय पंजाब पुनर्गठन एक्ट के दौरान शानन बिजलीघर पंजाब सरकार के स्वामित्व में ही रहा । पंजाब पुनर्गठन एक्ट-1966 की शर्तों के अनुसार इस बिजली प्रोजेक्ट को प्रबंधन के लिए पंजाब सरकार को हस्तांतरित किया गया था । लेकिन 2024 में इसकी लीज अवधि समाप्त हो गई है।ऐसे में  लीज समझौते के अनुसार यह प्रोजेक्ट हिमाचल प्रदेश को वापिस मिलना चाइए । लेकिन यह कुमाऊँ पूत है इससे 200 करोड़ की आया होती है।इसलिए पंजाब इसको छोड़ने के लिए आसानी से तैयार नही है और कानूनी लड़ाई लड़ रहा है।  मंडी में जोगेंद्रनगर की ऊहल नदी पर स्थापित शानन बिजलीघर अंग्रेजों के शासन के दौरान वर्ष 1932 में केवल 48 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता वाला प्रोजेक्ट था. बाद में पंजाब बिजली बोर्ड ने इसकी उत्पादन क्षमता को बढ़ाया. बिजलीघर शुरू होने के पचास साल बाद वर्ष 1982 में शानन प्रोजेक्ट 60 मेगावाट ऊर्जा उत्पादन वाला हो गया. अब इसकी क्षमता पचास मेगावाट और बढ़ाई गई है, जिससे ये अब कुल 110 मेगावाट का प्रोजेक्ट है. कुल 200 करोड़ सालाना की कमाऊ वाले इस कमाऊ पूत को पंजाब अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहता है.




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