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सीबीआई कोर्ट ने उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक तिलक राज शर्मा को आरोपों से किया बरी

सीबीआई कोर्ट चंडीगढ़ ने बुधवार को हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग के अतिरिक्त निदेशक तिलक राज शर्मा को आरोपों से मुक्त कर दिया है। सीबीआई ने साल 2017 में ने चंडीगढ़ से उद्योग विभाग में बीबीएनडी के तत्कालीन संयुक्त निदेशक और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने  तिलक राज के चंडीगढ़ स्थित घर की तलाशी ली थी, हालांकि वहां से पैसे की कोई रिकवरी नहीं हुई थी। सेंट्रल फोरेंसिंक लैब की रिपोर्ट में भी इस बात की पुष्टि हुई कि उक्त अधिकारी ने पैसे की कोई मांग नहीं की थी।
 
सरकार की जांच में भी निराधार निकले आरोप
बचाव पक्ष के वकील बीएस डोगरा और साक्षी शर्मा ने बताया कि सीबीआई ने चार्जशीट बना कर 2017 में अभियोजन मंजूरी के लिए प्रदेश की तत्कालीन सरकार को भेजी। सरकार ने चार्जशीट में लगाए गए सभी आरोपों की सभी पहलुओं से जांच की। जांच में पैसे लेने की बात निराधार पाई गई।
 
अतिरिक्त चार्जशीट के आरोप भी निराधार
सीबीआई ने साल 2022 में नए दस्तावेजों के साथ अतिरिक्त चार्जशीट बना कर अभियोजन मंजूरी के लिए प्रदेश सरकार को दोबारा भेजी। प्रदेश की तत्कालीन सरकार ने भी अतिरिक्त चार्जशीट में लगाए सारे आरोपों की गहराई से जांच कारवाई और इस नतीजे पर पहुंची कि उक्त अधिकारी पर लगाए गए सारे आरोप निराधार हैं।
 
तथ्यहीन निकले शिकायतकर्ता के आरोप
चार्जशीट और अतिरिक्त चार्जशीट के आरोपों की जांच करवाने के बाद सरकार ने पाया कि कैपिटल सब्सिडी देने के लिए उक्त अधिकारी अधिकृत नहीं थे। कैपिटल सब्सिडी जारी करने के लिए प्रदेश स्तरीय कमेटी ही अधिकृत थी, जबकि आरोप यह था कि  कैपिटल सब्सिडी जारी करने की एवज में पैसे मांगे गए थे।
 
कंपनी मालिकों ने स्वीकारा, नहीं दिए रिश्वत के लिए पैसे
जांच में यह भी पाया गया कि शिकायतकर्ता उक्त कैपिटल सब्सिडी को लेने के लिए कंपनी की तरफ से अधिकृत ही नहीं था। कंपनी के मालिकों ने लिखित में स्वीकार किया कि उन्होंने शिकायतकर्ता को कोई भी पैसे रिश्वत के लिए नहीं दिये।
 
अधिकारी ने फैसले को बताया सच्चाई की जीत
जांच में यह भी पाया गया कि उक्त अधिकारी के पास से कोई रिकवरी नहीं हुई और उनके घर पर छापेमारी के दौरान भी कुछ नहीं मिला।  सरकार ने गहराई से जांच करवाने के बाद सीबीआई को अभियोजन मंजूरी देने से इंकार कर दिया। तिलक राज शर्मा ने कहा कि उन्हें न्यायपालिका पर पूरा विश्वास था। उन्होंने इस फैसले को सच्चाई की जीत बताया है। 
 
इन कारणों से आंखों की किरकिरी बने थे तिलक राज शर्मा
बद्दी में उद्योग विभाग के संयुक्त निदेशक रहते तिलक राज शर्मा ने यह पाया था कि बिचौलिये सरकार की इन्वेस्टर फ्रेंडली छवि को धूमिल कर रहे हैं, जिसके लिए उन्होंने 27 नवंबर 2015 को  पत्र संख्या (2551-63) के तहत स्टैंडिंग ऑर्डर निकाल कर बिचौलियों के रोल को पूर्णतः प्रतिबंधित कर दिया था।

 
1. बिचौलियों और अफसरों के कोकस को तोड़ा
बताया जा रहा है कि उस दौरान प्रदेश में फार्मा के कुछ उत्पादों के उत्पादन की स्वीकृति नहीं दी जा रही थी, जबकि उत्तराखंड में उन्हीं उत्पादों को बनाने की अनुमति दी जा रही थी, जिसके चलते बहुत सा बिजनेस उत्तराखंड को शिफ्ट हो रहा था, जिसके चलते प्रदेश सरकार को भारी नुकसान हो रहा था।   
फार्मा एसोशिएशन के निवेदन पर उक्त अधिकारी ने प्रदेश सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, जिसमें एक कमेटी गठित करने की सिफ़ारिश की गई थी। प्रस्ताव में यह भी सिफ़ारिश की गई थी कि प्रदेश फार्मा हब के रूप में उभर रहा है, जिसके लिए चार- पांच अलग- अलग लाइसेंसिंग अथॉरिटी बनाई जाएं।  कहीं न कहीं इन प्रस्तावों से बिचौलिये और ड्रग कंट्रोल अथॉरिटी के कुछ अधिकारियों ने उक्त अधिकारी के खिलाफ षड्यंत्र रचा।
 
2.खार खाए थे कुछ अफसर
तिलक राज शर्मा ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय ड्रग्स कंट्रोलिंग अथॉरिटी में व्याप्त भ्रष्टाचार और ड्रग्स कंट्रोलिंग अथॉरिटी के एकाधिकार को खत्म करने के लिए अलग से लाइसेंसिंग अथॉरिटी बनाने की सिफ़ारिश की थी, जिस पर केबिनेट में भी चर्चा हुई थी। इन कारणों से उक्त अधिकारी जहां दलालों के निशाने पर थे, वहीं ड्रग्स कंट्रोलिंग अथॉरिटी  के कुछ अफसर भी उनसे खार खाये हुये थे।
 
काबिल अफसरों में गिने जाते हैं तिलक राज शर्मा
तिलक राज शर्मा की गिनती उद्योग विभाग के सबसे मेहनती और योग्य अधिकारी के तौर पर होती है। केंद्र सरकार से जब प्रदेश को औद्योगिक पैकेज मिला तो बीबीएनडी को फार्मा हब के रूप में विकसित करने के लिए उक्त अधिकारी ने खूब पसीना बहाया। उनकी कार्यक्षमता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने उन्हें पदोन्नत कर अतिरिक्त निदेशक के पद पर शिमला तैनात किया। 




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