ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज, कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य पालन मंत्री एवं अध्यक्ष, गौ सेवा आयोग वीरेन्द्र कंवर ने आज यहां सचिवालय के समिति कक्ष में हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग की पांचवीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में आयोग की आय-व्यय का विवरण और बजट का अनुमोदन करने सहित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।इस अवसर पर वीरेंद्र कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार गौ सेवा आयोग के माध्यम से बेसहारा गौवंश के संरक्षण के लिए कई कारगर कदम उठा रही है। प्रत्येक जिले में स्मार्ट गौशाला स्थापित की जा रही हैं। वर्तमान में 2 जिलों सोलन एवं कांगड़ा में स्मार्ट गौशाला की स्थापना के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इन गौशालाओं की क्षमता तीन हजार गौवंश प्रति गौशाला होगी। संचालक यहां पर 20 प्रतिशत दुधारू गौवंश रख सकेंगे।उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिला में गौशालाओं को एनिमल लिफ्टर उपलब्ध करवाने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अतिरिक्त गौ सदनों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रारम्भ में प्रदेश में बेहतर कार्य कर रहे दस गौ सदनों को गौ विज्ञान केन्द्र के रूप में परिवर्तित किया जाएगा। प्रत्येक जिला में स्थापित होने वाले गौ विज्ञान केंद्रों के माध्यम से भारतीय मूल की गौवंश के अनुसंधान को सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई है। इन केंद्रों के माध्यम से गाय का दूध बढ़ाने तथा पंचगव्य व अन्य गौवंश पदार्थों के उत्पादन को भी अपनाया जाएगा ताकि यह गौशाला आत्मनिर्भर बन सकें।उन्होंने कहा कि गौशालाओं, गौ सदनों एवं गौ-आरण्यों के बेहतर संचालन के लिए प्रदेश सरकार हर संभव वित्तीय सहायता उपलब्ध करवा रही है। हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग द्वारा प्रदेश में बेसहारा गौवंश के संरक्षण को गौ सदन/गौशाला एवं गौ आरण्य को सहायता योजना के अंतर्गत 500 रुपए प्रति गाय प्रतिमाह प्रदान किए जा रहे हैं। विभिन्न गैर सरकारी संगठनों के माध्यम से संचालित की जा रही गौशालाओं की गौ रक्षा निधि बढ़ाने पर भी बैठक में विचार किया गया। गौशाला में संरक्षित गौवंश की बेहतरीन निगरानी के लिए सुपरवाइजर की भी तैनाती करने पर विचार किया जा रहा है।उन्होंने कहा कि तीन वर्ष पूर्व गठित गौ सेवा आयोग बेसहारा गौवंश के संरक्षण के लिए बेहतर कार्य कर रहा है। वर्तमान में प्रदेश में 15 बड़ी गौशाला एवं गौवंश अरण्य स्थापित किए जा रहे हैं, जिनमें से आठ का कार्य पूर्ण हो चुका है। इनके निर्माण पर लगभग 31 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। वर्तमान में लगभग 18 हजार गौवंश को इनमें आश्रय दिया गया है।इस अवसर पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश गौ सेवा आयोग की वेबसाइट का भी अवलोकन उपरांत शुभारंभ किया। इस वेबसाइट के माध्यम से आयोग की विभिन्न गतिविधियों को ऑनलाइन माध्यम से देखा जा सकेगा और दानी सज्जन ऑनलाइन माध्यम से ही इसमें अपना अंशदान भी आयोग को दे सकते हैं।
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