सीएम सुक्खू ने हिपा में इंक्लूसिव डिजिटल लिटरेसी कार्यक्रम के तहत स्पेशल एजुकेटर के प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया शुभारंभ
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल प्रदेश इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन (HIPA) में दृष्टिबाधित छात्रों के विशेष शिक्षकों के लिए "समावेशी डिजिटल साक्षरता - सहायक प्रौद्योगिकी" पर आधारित तीन दिवसीय प्रशिक्षण का शुभारंभ किया। इस दौरान सीएम सुक्खू ने प्रदेश के दृष्टि बाधित बच्चों को प्रतिमाह 4000 रु सहायता राशि देने की घोषणा की है। इस शिविर में दृष्टिबाधित छात्रों के स्पेशल एजुकेटर्स व मेन स्ट्रीम शिक्षकों डिजिटल साक्षरता के महत्व व इसकी प्रक्रिया के बारे में प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसमें प्रदेश भर से समग्र शिक्षा , सामाजिक न्याय-अधिकारिता विभाग व विभिन्न एनजीओ के स्पेशल एजुकेटर्स व मेनस्ट्रीम के 80 शिक्षकों ने भाग ले रहे हैं। यह प्रशिक्षण शिविर समग्र शिक्षा नेशनल एसोसिएशन फ़ॉर ब्लाइंड (एनएबी) हिमाचल शाखा के सहयोग से आयोजित कर रहा है।
सीएम सुक्खू ने प्रशिक्षण शिविर में आए स्पेशल एजुकेटर्स व मेंन स्ट्रीम शिक्षकों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि स्पेशल एजुकेशन में यह न्यू बेस्ड टेक्नोलॉजी विशेष बच्चो की शिक्षा में मील का पत्थर साबित होगी। यह तकनीक पुराने समय में ब्रेल पद्धति का स्थान लेकर दृष्टि बाधित बच्चों को शिक्षित करने की दिशा में नए आयाम स्थापित करेगी। सीएम सुक्खू ने कहा कि स्पेशल एजुकेटर जब यहां से प्रशिक्षण लेकर जाएंगे तो निश्चित तौर पर दृष्टिबाधित बच्चों को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश की संपदा पर सभी का अधिकार बराबर है। सरकार सुखाश्रय योजना के तहत विशेष बच्चों को चिंल्ड्रंन ऑफ द स्टेट का दर्जा देकर इस दिशा में कार्य कर रही है। सीएम सुक्खू ने घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश के दृष्टिबाधित बच्चों को भी इसमें शामिल किया जाएगा और उन्हें भी प्रतिमाह 4000 रु मासिक राशि देगीष इसके लिए प्रतिवर्ष 48 करोड़ रु खर्च होंगे। आगामी बजट सेशन में इसके लिए बजट का प्रावधान किया जाएगा।
वहीं समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि इंक्लूसिव शिक्षा के तहत इस प्रशिक्षण शिविर में स्पेशल एजुकेटर व मेन स्ट्रीम शिक्षकों को शिक्षित किया जा रहा है। ग्रामोद्योग के माध्यम से डिजिटल इक्विपमेंट खरीदें जाएंगे जिन्हें स्कूलों को देकर बच्चों को आवंटित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को प्रशिक्षित कर बच्चो को इतना सक्षम बनाना है कि वे इनका प्रयोग खुद कर सकें। उन्होंने कहा कि यह हम सभी की जिम्मेवारी है कि हम उनकों समाज के अन्य लोगों के बराबर रखें। इसी धारणा के साथ भारत वर्ष में इंक्लूसिव शिक्षा की भी बात की जा रही है। उन्होंने सभी एजुकेटर व शिक्षकों से कहा कि यह पुण्य का कार्य है। इसको सभी शिक्षक सरकारी काम या बोझ की तरह ना लेकर इसे अपना व्यक्तिगत कार्य समझ कर काम करें।
वहीं कार्यक्रम कॉर्डिनेटर प्रतिभा बाली ने बताया कि इस प्रशिक्षण शिविर में आगामी तीन दिनों तक स्पेशल एजुकेटर व मेन स्ट्रीम शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसमें प्रदेश भर के शिक्षक शामिल हुए है। इन तीन दिनों में अलग अलग सत्र आयोजित किए जाएंगे। जिसमें इंकलुसिव डिजिटल लिट्रेसी असिस्टिव कार्यक्रम के अलग अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञ विभिन्न सत्रों में शिक्षकों को प्रशिक्षित करेंगे। उन्होंने कहा कि इसमें समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, नेशनल एसोसिएशन फ़ॉर द ब्लाइंड की हिमाचल शाखा से नलिनी वत्स किमटा सहित कई गणमान्य व्यक्ति व 80 स्पेशल एजुकेटर , मेनस्ट्रीम शिक्षक मौजूद रहें ।
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