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अमेरिका में बोले अनुराग ठाकुर, ऊर्जा सुरक्षा वैश्विक मुद्दा




ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच तालमेल आवश्यक


भारत का रुख स्पष्ट, विकसित और अमीर देश  2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन करें कम


 पूर्व केंद्रीय मंत्री व  सांसद  अनुराग  ठाकुर ने अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी मंच द्वारा नवीन ऊर्जा समीकरण विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में भारत का पक्ष रखते हुए कहा कि ऊर्जा सुरक्षा का मुद्दा राष्ट्रीय नहीं बल्कि वैश्विक है और ऊर्जा, अर्थव्यवस्था व  पारिस्थितिकी के बीच तालमेल अति आवश्यक है।  अनुराग  ठाकुर ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन पर भारत का रुख़ बहुत स्पष्ट है और हमने बार-बार विकसित और अमीर देशों से 2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से कम करने का आग्रह किया है।

अनुराग ठाकुर ने कहा “  मेरा मत है कि  ऊर्जा तक पहुँच प्रत्येक व्यक्ति का अधिकार होना चाहिए न कि कुछ लोगों के लिए एक विशेषाधिकार इस पर होना चाहिए। भारत ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में क्षमता निर्माण और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित किया है। आत्मनिर्भरता और लचीलापन भारत के सामने आने वाली किसी भी बाधा और कठिनाई का समाधान हैं। भारत के स्वच्छ ऊर्जा भविष्य को शक्ति प्रदान करने के लिए, हमने राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन शुरू किया है। भारत 2024-25 से 2030-31 तक 1,200 अन्वेषण परियोजनाएँ शुरू करने वाला है, जिनका लक्ष्य 30 महत्वपूर्ण खनिजों की खोज करना है, जो आर्थिक विकास, राष्ट्रीय सुरक्षा, सौर ऊर्जा और अन्य के लिए आवश्यक हैं”


भारत के डेटा केंद्र 2030 तक दूसरे सबसे बड़े बिजली उपभोक्ता बन जाएँगे
अनुराग  ठाकुर ने कहा “जिस प्रकार जलवायु परिवर्तन एक त्रासदी है जिसका सामना सभी को सामूहिक रूप से करना पड़ता है, उसी प्रकार ऊर्जा सहयोग भी एक सफलता की कहानी हो सकती है जिसे सभी साझा कर सकते हैं। मुझे विश्वास है कि विचारों, विचारों और पहलों का यह मिलन, स्वच्छ, हरित और सतत ऊर्जा पर वैश्विक सहमति बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। दिन-प्रतिदिन नए क्षेत्र उभर रहे हैं, जो हमारी ऊर्जा माँग में अभूतपूर्व वृद्धि कर रहे हैं। अब हम एक डेटा-संचालित समाज में हैं जहाँ डेटा हमारी अर्थव्यवस्था और हमारे जीवन के हर पहलू को शक्ति प्रदान कर रहा है। जिस डेटा से हमारी अर्थव्यवस्था को शक्ति मिलती है, उसे चलने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। भारत के डेटा केंद्र 2030 तक दूसरे सबसे बड़े बिजली उपभोक्ता बन जाएँगे। भारत अपने डेटा केंद्रों में बिजली की खपत के मामले में जापान और ऑस्ट्रेलिया से भी आगे निकल जाएगा। वर्तमान में, भारतीय डेटा केंद्र 13 टेरावाट-घंटे की खपत करते हैं, जो 2030 तक 57 टेरावाट-घंटे हो जाएगा। इसका अर्थ है कि हमारे डेटा केंद्र भारत के कुल बिजली उत्पादन का 2.6 प्रतिशत खपत करेंगे। भविष्य में हमारी ऊर्जा आवश्यकताएँ बहुत बढ़ जाएँगी”

 
भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता का लक्ष्य  रखा
अनुराग  ठाकुर ने कहा “हमारा आर्थिक विकास ज़रूरी है, लेकिन हमें धरती व अपने पर्यावरण के बारे में भी सोचना होगा। ऊर्जा, अर्थव्यवस्था और पारिस्थितिकी के बीच तालमेल होना चाहिए। इस तरह, हम कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं और हरित उत्सर्जन को बढ़ा सकते हैं। यदि हम पारंपरिक ऊर्जा से गैर-पारंपरिक ऊर्जा की ओर बढ़ें तो एक स्वच्छ और हरित ग्रह के साथ-साथ स्थायी ऊर्जा सुनिश्चित करना संभव हो सकता है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावाट गैर-जीवाश्म क्षमता का लक्ष्य रखा है और हम इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए हर संभव कदम उठा रहे हैं। वर्तमान में हमारी कुल नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता 227 गीगावाट है। भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता जून 2025 तक 476 गीगावाट तक पहुँच गई है। भारत की स्थापित ऊर्जा क्षमता का 50% से अधिक अब गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से आता है। गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोत अब कुल क्षमता में 235.7 गीगावाट का योगदान देते हैं, जिसमें 226.9 गीगावाट नवीकरणीय और 8.8 गीगावाट परमाणु ऊर्जा शामिल है। नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित क्षमता में भारत विश्व स्तर पर चौथे स्थान पर है। पवन ऊर्जा में हम चौथे स्थान पर हैं। जुलाई 2025 तक, भारत की सौर ऊर्जा क्षमता में 4,000% की वृद्धि होगी और हम आधिकारिक तौर पर जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया के तीसरे सबसे बड़े सौर ऊर्जा उत्पादक बन गए हैं। 2.8 करोड़ से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया, प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 45.8% की वृद्धि हुई। बिजली की कमी 2013-14 में 4.2% से घटकर 2024-25 में 0.1% हो गई”


 


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