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आखिर क्या है विश्व बायोस्फीयर रिजर्व (World Biosphere Reserves)?





यूनेस्को ने लाहौल-स्पीति जिले की स्पीति घाटी को प्रतिष्ठित मानव और बायोस्फीयर (एमएबी) कार्यक्रम में शामिल किया है। इसके साथ ही यह देश का पहला शीत मरुस्थल बायोस्फीयर रिजर्व के रूप में मान्यता प्राप्त कर गया है। यह मान्यता औपचारिक रूप से 26 से 28 सितंबर, 2025 तक चीन के हांगझोऊ में आयोजित 37वीं अंतरराष्ट्रीय समन्वय परिषद (एमएबी-आईसीसी) की बैठक के दौरान प्रदान की गई। इस समावेशन के साथ भारत के अब एमएबी नेटवर्क में कुल 13 बायोस्फीयर रिजर्व हो गए हैं।
लेकिन आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिजर्व क्या हैं। आसान शब्दों में बताएं तो यूनेस्को विश्व बायोस्फीयर रिजर्व ऐसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्राकृतिक क्षेत्र हैं, जहां प्रकृति और इंसान दोनों का संतुलित विकास सुनिश्चित किया जाता है।
इस तरह यूनेस्को के विश्व बायोस्फीयर रिज़र्व (World Biosphere Reserves) का मतलब ऐसे संरक्षित क्षेत्र हैं जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) ने Man and the Biosphere (MAB) Programme के तहत मान्यता दी होती है।


बायोस्फीयर रिजर्व का उद्देश्यः

जैव विविधता की सुरक्षा
– यानी पेड़-पौधे, जड़ी-बूटियाँ, जानवर, पक्षी, कीड़े-मकोड़े और सूक्ष्म जीव सभी को संरक्षित करना।
पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बनाए रखना – जंगल, नदियाँ, पहाड़, घास के मैदान आदि प्राकृतिक तंत्र को बचाना।
मानव और प्रकृति के बीच संतुलन – इन क्षेत्रों में स्थानीय लोग भी रहते हैं, तो उनके पारंपरिक ज्ञान और जीवन-शैली को भी महत्व दिया जाता है ताकि विकास और संरक्षण साथ-साथ चल सकें।
शोध, शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा – इन जगहों को वैज्ञानिक रिसर्च, पर्यावरण शिक्षा और सतत विकास के प्रयोगशाला की तरह इस्तेमाल किया जाता है।


हर बायोस्फीयर रिजर्व में तीन हिस्से होते  हैं-

कोर क्षेत्र (Core Area):
सबसे ज्यादा सुरक्षित हिस्सा, यहां मानव गतिविधि बहुत सीमित होती है।
बफर ज़ोन (Buffer Zone): यहां सीमित रिसर्च, शिक्षा और पर्यटन जैसी गतिविधियां होती हैं।
ट्रांजिशन ज़ोन (Transition Area): यहां स्थानीय लोग रहते हैं और सतत विकास वाली गतिविधियां जैसे खेती, वनोपज, हस्तशिल्प आदि की अनुमति होती है।
स्पीति को शामिल करने के बाद अब भारत में UNESCO MAB नेटवर्क में 13 बायोस्फीयर रिजर्व  शामिल हो गए हैं। 


7,770 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है  स्पीति कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व 

स्पीति कोल्ड डेजर्ट बायोस्फीयर रिजर्व 7,770 वर्ग किलोमीटर के भौगोलिक क्षेत्र में फैला है, जिसमें संपूर्ण स्पीति वन्यजीव प्रभाग 7,591 वर्ग किलोमीटर और लाहौल वन प्रभाग के आसपास के हिस्से शामिल हैं, जिनमें बारालाचा दर्रा, भरतपुर और सरचू (179 वर्ग किलोमीटर) शामिल हैं।
3,300 से 6,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह क्षेत्र, भारतीय हिमालय के ट्रांस-हिमालय जैव-भौगोलिक प्रोविंस के अंतर्गत आता है। रिजर्व को तीन क्षेत्रों में संरचित किया गया है, 2,665 वर्ग किलोमीटर कोर ज़ोन, 3,977 वर्ग किलोमीटर बफर ज़ोन और 1,128 वर्ग किलोमीटर ट्रांजिशन जोन। यह पिन वैली राष्ट्रीय उद्यान, किब्बर वन्यजीव अभयारण्य, चंद्रताल आर्द्रभूमि और सरचू मैदानों को एकीकृत करता है। यह विषम जलवायु, स्थलाकृति और नाज़ुक मिट्टी द्वारा निर्मित एक अद्वितीय शीत रेगिस्तानी पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाता है। यह क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से समृद्ध है, जिसमें 655 जड़ी-बूटियांे, 41 झाड़ियांे और 17 वृक्षों की प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें 14 स्थानिक और 47 औषधीय पौधे शामिल हैं। यह सोवारिग्पा/आमची चिकित्सा परंपरा के लिए उपयोग में लाए जाते हैं। यहां के वन्यजीवों में 17 स्तनपायी प्रजातियां और 119 पक्षी प्रजातियां शामिल हैं, जिनमें हिम तेंदुआ एक प्रमुख प्रजाति है। अन्य उल्लेखनीय प्रजातियों में तिब्बती भेड़िया, लाल लोमड़ी, आइबेक्स, और नीली भेड़, हिमालयन स्नोकॉक, गोल्डन ईगल, बेयर्ड गिद्ध शामिल हैं। यह 800 से अधिक नीली भेड़ों का आश्रय स्थल है।
 


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