पूर्व मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार पर फैसला सुरक्षित
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना के सेवा विस्तार को लेकर फैसला सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में जो रिकॉर्ड रजिस्ट्रार जनरल के पास सीलबंद लिफाफे में पेश किया गया है, उनको फैसला पारित होने के बाद सील्ड कवर में वापस भेज दिया जाएगा।
अदालत ने पिछली सुनवाई पर हिमाचल सरकार को एक अतिरिक्त एफिडेविट दायर करने का भी निर्देश दिया था कि क्या मुख्यमंत्री कैबिनेट की मंजूरी के बिना केंद्र सरकार को संस्तुति भेज सकते हैं या नहीं। इस पर राज्य सरकार ने एफिडेविट दाखिल किया है। एडवोकेट जनरल अनूप रतन ने अदालत में पक्ष रखते हुए कहा कि प्रदेश सरकार के एडमिनिस्ट्रेटिव और बिजनेस रूल्स के मुताबिक संबंधित विभाग का मिनिस्टर-इन-चार्ज ऐसा कर सकता है। वहीं सक्सेना की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि रूल 7 और 8 में यह स्पष्ट है कि कौन से मामले काउंसिल ऑफ मिनिस्टर को जाएंगे और कौन से नहीं। हालांकि याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता ने तर्क दिया कि इन नियमों में कहीं भी सेवा विस्तार का जिक्र नहीं है। उनका तर्क था कि ये नियम आईएएस और एचपीएस अधिकारियों पर लागू होते हैं, सेवा विस्तार पर ये नियम लागू नहीं होते।
Leave A Comment