हिमाचल में उच्च गुणवत्ता वाले बीजों की अनुपलब्धता के चलते यहां के किसानों को बाहरी राज्यों पर निर्भर होना पड़ता है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में प्रयोग होने वाले सभी तरह के बीजों का आयात बाहरी राज्यों से होता है। हिमाचल में केवल 1 फीसदी भूमि पर बीजों का उत्पादन होता हैए जो प्रदेश की 20 फीसदी जरूरत को पूरा करता है। वहीं सब्जियोंए चारा फसलों और मक्का के बीज 100 फीसदी तक बाहरी राज्यों से आयातित किए जाते हैं। बाहरी राज्यों से बीजों के आयात को कम करने के लिए हिमाचल सरकार के कृषि विभाग ने एक मास्टर प्लान तैयार किया है। जिसके तहत प्रदेश को बीज उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम किया जाएगा। प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत बीज उत्पादन के लिए तैयार किए गए मसौदे में हिमाचल प्रदेश में बीज की जरूरत को समझते रबी और खरीफ की 16 फसलों के बीजों को तैयार किया जाएगा।
विशेष सचिव कृषि राकेश कंवर ने बताया कि हिमाचल में 80 फीसदी से अधिक बीज बाहरी राज्यों से आयात किया जाता है। ऐसे में बाहरी राज्यों से आने वाले बीजों में कई बार बड़ी गड़बडियां भी पाई गई हैं। इसके अलावा कई बार ये बीज हिमाचल प्रदेश की पारिस्थितिकी में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता है। इसलिए अब हमने एफएओ जैसी अंतराष्ट्रीय संस्थाओं और बीज उत्पादन के क्षेत्र में बेहतरीन काम करने वाली एजेंसियों के साथ मिलकर हिमाचल में ही बीज उत्पादन का मास्टर प्लान तैयार किया है।
हिमाचल में बीजों के आंकड़े
वर्ष 2018 में हिमाचल में कुल जोती गई 594094 हैक्टेयर भूमि में से खरीफ सीजन में केवल 709 हैक्टेयर भूमि में धानए मक्की और सोयबीन का बीज तैयार किया गया। जबकि रबी सीजन में 2711 हैक्टेयर में गेहूं, जौ, चना और तोरिया का बीज तैयार किया गया। दोनों सीजन में कुल जोती गई भूमि के केवल 1 प्रतिशत पर ही बीज उत्पादन किया गया है। वहीं हिमाचल में खरीफ और रबी सीजन में कुल 28395 मीट्रिक टन उच्च उत्पादकता वाला बीज प्रयोग किया जाता है। इसमें से केवल 5491 मीट्रिक टन का ही उत्पादन हिमाचल में होता है और बाकि का 22904 मीट्रिक टन बीज बाहरी राज्यों से आयात किया जाता है।
बीज उत्पादन के लिए प्रदेश के 130 किसान समूहों और कृषि विभाग के 12 बीज उत्पादन फार्मों में इसी साल खरीफ सीजन में बीज उत्पादन का काम शुरू किया जाएगा। शुरूआती तौर पर बीज उत्पादन के लिए बीज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषदए राष्ट्रीय पादप अनुवांशिकी संसाधन ब्यूरो से लिए जाएंगे। इसके बाद इनका गुणन कर किसानों को मुहैया करवाया जाएगा।
बीज उत्पादन के काम को देखने वाले प्रोण् राजेश्वर सिंह चंदेल ने बताया कि हिमाचल में बीज की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रदेश के सभी जिलों में कृषि विभाग के फार्मों और किसान समूहों को लेकर एक विस्तारपूर्वक योजना तैयार कर काम किया जा रहा है। प्राकृतिक तरीके से बीज तैयार होने के बाद इसका प्रमाणिकरण किया जाएगा और फिर प्रदेश के किसानों को इसे दिया जाएगा। प्रदेश में तैयार होने वाला बीज यहां की पारिस्थितिकी के अनुकुल होगा जिससे किसानों की उत्पादकता में अवश्य ही बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा प्रदेश सरकार की ओर से इस बार परम्परागत बीज संवर्धन योजना की घोषणा की गई है। इससे भी परम्परागत बीजों को सहेजने के लिए आर्थिक रूप से सहायता मिलेगी।
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