देश भर के अन्य राज्यों के साथ ही हिमाचल में भी लोकसभा व विधानसभा सीटों के लिए होने वाले उपचुनावों की घोषणा हो गयी है।देश भर में जंहा 30 विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव होने है तो वंही 3 लोकसभा की सीटों के लिए भी 30 अक्तूबर को मतदान होगा,2 नवंबर को मतगणना के बाद चुनाव परिणाम घोषित हो जाएंगे ।हिमाचल प्रदेश की बात करे तो यंहा फतेहपुर में सुजान सिंह पठानिया ,अर्की में वीरभद्र सिंह और जुब्बल कोटखाई में विधायक नरेंद्र बरागटा के आकस्मिक निधन के बाद से
उपचुनाव होने प्रत्याशित थे वंही मंडी लोकसभा सीट संसद रामस्वरूप के निधन के बाद खाली हो गयी थी लेकिन चुनाव आयोग ने कोरोना ,बिगड़े मौसम और त्योहारी सीजन के हवाला देते हुए इसे टाल दिया था ।अब एक बार फिर सारी स्थिति का जायजा लेने के बाद चुनाव आयोग ने 30 अक्तूबर को अन्य राज्यों के साथ ही हिमाचल में भी चुनाव की तिथि घोषित कर दी है।उपचुनाव की घोषणा होते ही प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ना भी निश्चित है।ये उपचुनाव जंहा जयराम सरकार का भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे तो वंही विपक्ष भी इस चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने का प्रयास करेगा ।मुख्यमंत्री के लिए इन चुनावों में पर पाना आसान नही दिख रहा क्योंकि अर्की में पहले ही पूर्व विधायक गोविंद राम शर्मा ने जंहा पार्टी के पूर्व प्रत्याशी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है तो वंही जुब्बल कोटखाई में भी परिवारवाद के मुद्दे पर पार्टी बैकफुट पर है।इसके अलावा मंडी लोकसभा सीट पर चुनाव जीतना भी मुख्यमन्त्री के लिए बड़ी चुनौती है।ऐसे में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि चुनावो में पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल सरकार का बेड़ा पार करने मे साथ देते है या फिर 4 साल तक हाशिये में रहने के बाद इन उपचुनावों से किनारा कर लेंगे ।कुल मिलाकर ये उपचुनाव धूमल परिवार के बगैर जितना आसान नही है ।
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