हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन (सीटू से संबंधित)के बैनर तले प्रदेश के सैंकड़ों मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर विधानसभा घेराव किया। इसके बाद यूनियन प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को मांग-पत्र सौंपा। मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि आउटसोर्स कर्मियों के लिए शीघ्र ही नीति बनाने का रास्ता साफ होगा। आउटसोर्स कर्मियों की रैली बारह बजे पंचायत भवन शिमला से शुरू हुई व 103 से होते हुए विधानसभा के बाहर पहुंची। यहां पर प्रदर्शनकारी उग्र हो गए व सरकार से आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने व उन्हें रेगुलर करने, 26 हज़ार रुपये वेतन देने व सुप्रीम कोर्ट के समान काम के समान वेतन के निर्णय को लागू करने की मांग करने लगे। उग्र प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन ने तुरंत हस्तक्षेप किया व मुख्यमंत्री से प्रदर्शनकारियों को बातचीत का न्यौता दिया।
आउटसोर्स कर्मियों ने 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन मांगा
हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष विरेन्द्र लाल व महासचिव दलीप सिंह ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आउटसोर्स कर्मियों के लिए तुरन्त नीति न बनी तो यूनियन मानसून सत्र में हज़ारों आउटसोर्स कर्मियों को लामबंद करके दोबारा विधानसभा पर हल्ला बोलेगी। उन्होंने प्रदेश सरकार से आउटसोर्स कर्मियों की मांगों को तुरन्त पूर्ण करने की मांग की है। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने व उन्हें नियमित कर्मचारी घोषित करने की मांग की है। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के लिए प्रतिमाह साढ़े दस हज़ार रुपये वेतन की घोषणा को कोरा मज़ाक करार दिया है। उन्होंने मांग की है कि 15वें भारतीय श्रम सम्मेलन व सन 1992 के सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश अनुसार आउटसोर्स कर्मियों को 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन दिया जाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार समान काम का समान वेतन दिया जाए। फिक्स टर्म रोज़गार व लेबर कोड को तुरन्त निरस्त किया जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों को सभी प्रकार की छुट्टियों,ईपीएफ,ईएसआई,ग्रेच्युटी,पेंशन व ओवरटाइम वेतन की सुविधा पूर्ण रूप से लागू की जाए। उन्होंने आउटसोर्स कर्मियों के वेतन से काटे जा रहे 18 प्रतिशत जीएसटी को तुरन्त बन्द करने की मांग की है। उन्होंने नौकरी से निकाले गए 108 व 102 कर्मियों को तुरन्त बहाल करने की मांग की।
उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया है कि वह प्रदेश के तीस हजार आउटसोर्स कर्मियों के शोषण की अनदेखी कर रही है। प्रदेश सरकार बार-बार घोषणाएं करने के बावजूद आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति नहीं बना रही है। उन्होंने मांग की है कि सरकार वर्तमान बजट सत्र में ही आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाकर उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करे व उन्हें नियमित कर्मचारी घोषित करे।
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