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विधानसभा मानसून सत्र मे एक बार फिर नहीं उठे जनता से जुड़े मुद्दे

प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र एक बार फिर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जुबानी जंग व व्यर्थ के मुद्दों की भेंट चढ़ गया हालांकि इस बार उम्मीद थी की आगामी उपचुनावों के चलते विपक्ष जनता से जुड़े मुद्दों को सदन मे उठाएगा ओर दोनों पक्षों के बीच सार्थक चर्चा सुनने को मिलेगी लेकिन 13 तारीख को खत्म हुआ 13वी विधानसभा का 12 सत्र भी दोनों पक्षों के बीच नोक झोंक ओर व्यर्थ के मुद्दो की भेंट चढ़ गया| 2 अगस्त से 13 अगस्त तक आयोजित इस विधानसभा मानसून सत्र मे कुल 10 बैठके आयोजित की गयी जिसमे पहला दिन तो शोकोदगार प्रस्ताव मे ही निकाल गया बाकी बचे 9 दिन भी विपक्ष के वॉकआउट ओर सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायकों ओर मंत्रियों के बीच छिड़ी  जुबानी जंग की भेंट चढ़ गए  |विपक्ष ने सत्र  के दूसरे दिन  मंडी के पूर्व सांसद की मौत का मामला उठाया ओर मामले की सीबीआई जांच की मांग करते  हुए इस पूरे मामले पर चर्चा मांगी  लेकिन मांग के  नहीं माने जाने के विरोध मे सदन से वॉकआउट कर दिया |इसके बाद प्रदेश सरकार मे मुख्य सचिव अनिल खचि के तबादले को लेकर विपक्ष ने सदन मे हँगामा कर दिया ओर चर्चा मांगी लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने चर्चा  देने से माना कर दिया जिसपर  एक बार फिर विपक्ष ने सदन से वॉकआउट कर दिया हालांकि मुख्यमंत्री इस दौरान विपक्ष को समझाते  भी नजर आए की ये सरकार का अधिकार है की वो किसे इस पद पर बिठाये ओर किस का तबादला करे  |अब अनिल खाचि का  तबादला कैसे जनता से जुड़ा मुद्दा बन गया इसे समझना मुश्किल है |इसके बाद कोविद महामारी पर लंबी चर्चा के बाद जब स्वास्थ्य मंत्री चर्चा का उत्तर देने लगे तो विपक्ष बीच मे ही सदन छोड़कर बाहर चला गया   |इसके बाद सदन मे जगत सिंह नेगी ने आरएसएस को लेकर टिप्पणी कर दी इस पर भाजपा सरकार मे दो बड़े मंत्रियों ओर ओर अन्य विधायकों ने जगत सिंह नेगी को घेर लिया यंहा तक की भाजपा नेताओं ने तो जगत सिंह नेगी को सदन से बाहर भेजने  की मांग कर डाली |इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने भी खुद को आरएसएस की विचारधारा का समर्थक बता डाला जिस पर विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष  को खूब खरी खोटी सुनाई ओर एक बार फिर सदन से वॉकआउट कर दिया |बात यंही खत्म नहीं हुई सत्र के अंतिम दिन तो काँग्रेस विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष बदलने के लिए विधानसभा सचिव को प्रस्ताव तक भेज दिया ओर सदन की कार्यवाही मे भी भाग नहीं लिया ,हालांकि इस प्रस्ताव पर विधानसभा मे कोई कार्यवाही नहीं हुई ओर विधानसभा को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया | यही नहीं इस दौरान ऐसा कोई दिन नहीं था जब कोई संगठन विधानसभा के बाहर धरने पर न हो जिसमे साथ देकर विपक्ष ने भी राजनैतिक रोटिया सेंकने की भी खूब कोशिश की |अब इन 10 बैठको मे न तो मेंहगाई का मुद्दा उठा न ही बेरोजगारी का ओर न ही आम आदमी से जुड़ा  कोई अन्य मुद्दा,  मुद्दे उठे तो केवल राजनीतिक लाभ लेने की मंशा से यही नहीं सत्तापक्ष भी इस सत्र मे विपक्ष के साथ सामंजस्य बैठने मे रुचि दिखाता नजर नहीं आया | कुल मिलकर जनता के पैसे से आयोजित होने वाले विधानसभा के मानसून सत्र मे जनता से जुड़े मुद्दे अपने लिए जगह तलाशते नजर आए लेकिन यह बहुत बड़ा दुर्भाग्य है की ये सारे मुद्दे अपने लिए स्थान नहीं प सके | 


 

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